Jabalpur News: कोदो, कुटकी, रागी पर जनेकृविवि में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

Jabalpur न्यूज़: जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति डॉ. प्रमोद कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में दो दिवसीय, राष्ट्रीय सम्मेलन, मिलेट्स के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं विपणनः समस्याएं एवं समाधान विषय पर आयोजित किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, एवं प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने वर्चुअली जुड़कर कार्यक्रम को संबोधित किया। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा, ने कहा कि आज मुझे देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के अंतर्गत अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष २०२३ के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में उपस्थिति से आनन्द की अनुभूति हो रही है, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय का इतिहास स्वर्णिम रहा है, वर्ष १९६४ में स्थापित इस विश्वविद्यालय ने प्रदेश की कृषि को उत्तरोत्तर प्रगति के नए आयाम प्रदान किये कृषि शिक्षा के क्षेत्र में स्थापना से लेकर अब तक इस विश्वविद्यालय ने उत्कृष्ट मानव संसाधन का विकास किया है। कृषि, कृषि अभियांत्रिकी एवं कृषि वानिकी में छात्र छात्राएं कृषि व कृषकों के हित में प्रदेश एवं संपूर्ण देश में भविष्य में आने वाली कृषि चुनौतियों का समाधान करने में प्रयासरत है। प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा, सरकार मोटे अनाज को दुनिया में बढ़ावा देने के लिये लगातार काम कर रही है। पुराने समय में भारतीय थाली में आम जनमानस का भोजन मोटे अनाज सुपर फूड ही थे। मंत्री पटेल ने कहा कि मोटे अनाज अत्यधिक पोषक, अम्ल-रहित,ग्लूटेन मुक्त और आहार गुणों से युक्त होते हैं। इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में कुपोषण खत्म करने में मोटे अनाज का सेवन काफी मददगार होता है, क्योंकि इससे प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता हैं।

पोषण युक्त आहार हमारी प्राथमिकता

सांसद, विष्णु दत्त शर्मा ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के अमृत काल में विजन २०४७ को नई दृष्टि दी है, हर भारतीय की थाली में पोषण युक्त आहार की समुचित उपलब्धता विजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है साठ के दशक में मिलेट्स यानी ज्वार बाजरा रागी की रोटी हर थाली में नजर आती थी और गेहूं चावल कम ही खाया जाता था। वर्तमान समय में गेहूं चावल का भोजन में प्रचुरता से उपयोग के साथ ही बंपर उत्पादन के मोह में अंधाधुन रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग भी किया गया। परिणाम स्वरूप उत्पादन तो बड़ा लेकिन गुणवत्ता में कमी के साथ प्रतिकूलताए भी सामने आई दीर्घकालीन परिणाम पोषण की कमी कई बीमारियों के रूप में सामने आई।

यह रहे उपस्थित

नाबार्ड के चीफ जनरल मैनेजर निरूपम मेहरोत्रा, भारतीय एग्रो इकानोमिक रिसर्च सेंटर के जनरल सेक्रेटरी, नई दिल्ली प्रमोद चैधरी, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रमोद कुमार मिश्रा, डॉ. आर.आर हंचीनाल, पूर्व कुलपति कृषि विवि.धारवाड़, डॉ. दिनेश अग्रवाल, रजिस्ट्रार जनरल पी.पी.बी.एण्ड एफआरए, डॉ. पी.पी. शास्त्री, मेम्बर आईसीएआर गवर्निग बॉडी नई दिल्ली, अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. धीरेन्द्र खरे, अधिष्ठाता कृषि अभियांत्रिकी संकाय डॉ. अतुल श्रीवास्तव, अधिष्ठाता उद्यानिकी संकाय डॉ. एस.के. पांडे, संचालक अनुसंधान सेवायें डॉ. जी.के. कौतू, संचालक विस्तार सेवायें डॉ. दिनकर प्रसाद शर्मा, संचालक शिक्षण डॉ. अभिषेक शुक्ला, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय, जबलपुर डॉ. पी.बी. शर्मा आदि मंचासीन रहे।

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