Congress Election: ब्रिटेन की तर्ज पर चुनाव लड़ना चाहते है थरुर

congress election. tharor banam khadge. कांग्रेस अध्यक्ष के लिये होने वाले आगामी चुनाव की तस्वीर अब साफ हो चुकी है। खड़गे बनाम थरुर के इस चुनाव में जैसे जैसे तारीख निकट आ रही है। वैसे वैसे जुबानी जंग भी तेज हो रही है। इसी कड़ी में थरुर ने बीते दिनों कहा की वो अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के बीच सार्वजनिक बहस चाहते हैं। जिसके जवाब में खड़गे ने कहा वे विद्वान लोग हैं, इसलिये उन्हें बहस में दिलचस्पी है। कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव और दोनों की नेता अब सोशल मीडिया पर चर्चा का केन्द्र बिन्दू बनने लगे हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रत्याशी शशि थरुर ब्रिटेन की तर्ज पर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ना चाहते हैं। थरूर ने कहा कि वह अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के बीच सार्वजनिक बहस के लिए तैयार हैं क्योंकि इससे लोगों की उसी तरह से पार्टी में दिलचस्पी पैदा होगी, जैसे कि हाल में ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व पद के चुनाव को लेकर पैदा हुई थी। गौरतलब है कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में अब केवल दो प्रत्याशी बचे हैं-वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा सदस्य शशि थरूर। थरुर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के दिलों में नेहरू-गांधी परिवार की हमेशा खास जगह रही है और रहेगी। थरूर ने अपने एक दिए साक्षात्कार में कहा कि कांग्रेस की मौजूदा चुनौतियों का जवाब प्रभावी नेतृत्व और संगठनात्मक सुधार के संयोजन में निहित है। गौरतलब है कि झारखंड के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी का नामांकन पत्र शनिवार को खारिज होने के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के अध्यक्ष पद के चुनाव में अब मुकाबला खड़गे और थरूर के बीच होगा।

थरूर ने कहा कोई मतभेद नहीं

उनकी इस टिप्पणी पर खड़गे ने कहा कि उन्हें और थरूर को भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ मिलकर लड़ना है। खड़गे ने यह भी कहा कि आज महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर और भाजपा एवं आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ उन्हें और थरूर को मिलकर काम करना है। थरूर ने ‘एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के दिलों में नेहरू-गांधी परिवार की हमेशा खास जगह रही है और रहेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मौजूदा चुनौतियों का जवाब प्रभावी नेतृत्व और संगठनात्मक सुधार के संयोजन में निहित है।

उनके मुताबिक, ‘‘हमारे बीच कोई वैचारिक मतभेद नहीं है। सवाल सिर्फ यह है कि हम उस उद्देश्य को हासिल कैसे करेंगे, जिस पर हम सबने सहमति बनाई है।” थरूर ने कहा कि विचारों के आदान-प्रदान से उन वर्गों का भी ध्यान खींचा जा सकेगा, जो मतदान नहीं करते हैं। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मैंने हमेशा यह कहा है कि उम्मीदवारों के बीच विचारों के आदान-प्रदान का प्रभाव पार्टी के लिए फायदेमंद होगा। मिसाल के तौर पर, हमने देखा कि ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व के हालिया चुनाव में वैश्विक स्तर पर दिलचस्पी थी।”

खडगे ने थरूर को दिया जवाब

थरूर की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जो मुझे कहना है स्पष्टता के साथ कहूंगा। वो विद्वान लोग हैं, पढ़े-लिखे लोग हैं, शायद उनकी इच्छा डिबेट की हो सकती है। उसमें मैं पड़ना नहीं चाहता। मैं सिर्फ काम करना जानता हूं और उसका मौका दीजिए।”
उन्होंने कहा, ‘‘अगर डिबेट करना है, तो हम दोनों मिलकर उनके खिलाफ करें, आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ हम दोनों लड़ेंगे। आपस के वाद-विवाद से कोई फायदा नहीं। न देश का फायदा है इसमें, न पार्टी के लिए कोई फायदा है। लड़ना है, हमारी विचारधारा के खिलाफ़ जो काम कर रहे हैं, उनसे लड़ना है।” खड़गे ने कहा, ‘‘हमारा संघर्ष भाजपा से है, मोदी-शाह से है। जो लोग देश को बर्बाद कर रहे हैं, समाज को बर्बाद कर रहे हैं, लोगों को बर्बाद कर रहे हैं, उन लोगों के खिलाफ हम दोनों को मिलकर काम करना है। तो एक अपील है, सबसे कि इसमें न पड़ें कि किसने क्या कहा और कौन क्या कह रहा है।”

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