Bhopal News: स्टाफ की कमी से नहीं हो पा रही है डीएनए की जांच

Madhya Pradesh News / Bhopal News । मध्य प्रदेश की 3 डीएनए लेव में 284 पद वैज्ञानिकों के स्वीकृत हैं। इसमें मात्र 114 वैज्ञानिक ही कार्यरत हैं। जिसके कारण पास्को एक्ट में दर्ज अपराधों की जांच में काफी विलंब हो रहा है। वैज्ञानिकों और स्टाफ की कमी के कारण 10,000 से ज्यादा डीएनए के सैंपल जांच के लिए बहुत समय से लंबित हैं। मध्यप्रदेश में जो 114 वैज्ञानिक हैं। उनके पास प्रतिदिन औसतन 30 सैंपल जांच के लिए आ रहे हैं। जबकि 13 सैंपल से ज्यादा की जांच संभव नहीं होती है। जिसके कारण ग्वालियर भोपाल और सागर लैब में लगातार लंबित जांच के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है।

अपराधियों को फायदा…

पॉक्सो एक्ट जैसे महत्वपूर्ण मामले में समय पर डीएनए की जांच नहीं होने पर इसका लाभ अपराधियों को मिलता है। अपराधों की रोकथाम की दिशा में समय पर डीएनए सैंपल की जांच आवश्यक होती है। मध्यप्रदेश में 10000 मामलों की लंबित जांच को यदि सारे वैज्ञानिक और कर्मचारी उपलब्ध हो जाए तब भी 4 से 5 साल का समय लगेगा। ऐसी स्थिति में पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई कर पाना और अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने में जांच सबसे बड़ी बाधा बन रही है। शासन स्तर पर यदि जल्द ही इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो पॉक्सो एक्ट का कागजों पर अस्तित्व होगा। अपराधियों को जल्द सजा नहीं दिलाई जा सकेगी। वहीं अपराधियों के बचने के संभावना भी बढ़ जाएगी।

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