कब मनाई जाएगी होली । इस वर्ष होलिका पर्व को लेकर भ्रम की स्थिति है। हालांकी कुछ पंडितों ने पंचांग के हिसाब से होलिका दहन को आज ०६ मार्च की रात को होलिका दहन को विधि सम्मत बताया है। वहीं कुछ विद्वान की राय में ०७ मार्च को रात ०८.५१ तक होलिका दहन को उपयुक्त बताया है। वहीं कुछ पंडितों की राय में प्रदोष काल में होलिका अशुभ बताया है। लेकिन शहर में अधिकांशता होलिका प्रतिमाओं का दहन ०७ मार्च की रात में करने और धुरेड़ी ०८ मार्च को और भाईदूज पर्व ०९ मार्च को मनाये जाने की खबरें मिल रही हैं। एक तर्क यह भी दिया जा रहा है की मथुरा वृंदावन में होली ०८ मार्च को है। सबकी अपनी अपनी राय है अब यह जनता पर निर्भर करेगा की क्या करती है, हो सकता है यह त्योहार भी दो दिन मनाया जाए।
शंकराचार्य मठ रायपुर के ब्रम्हचारी डॉक्टर इंदु भवानंद के मुताबिक इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार को हो रही है। इसी दिन सूर्यास्त ५:५५ पर हो रहा है मंगलवार को पूर्णिमा सूर्यास्त काल में नहीं है, तथा पूर्व दिन सोमवार को चतुर्दशी तिथि दिन में ३:५६ समाप्त होकर पूर्णिमा तिथि लग रही है, इसी दिन रात्रि पर्यन्त भद्रा है। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार को प्रदोष काल में पूर्णिमा के न मिलने के कारण पूर्व दिन सोमवार दिनांक ६ मार्च को रात्रि भद्रापुच्छ में १२:२३ से रात १:३५ के मध्य अर्थात तीन घटी ७२ मिनट में होलिका का दहन करना चाहिए।
कब मनाई जाएगी होली
शास्त्रों के अनुसार ०६ मार्च को रात्री १२.२३ से १२.३५ तक होलिका दहन होना चाहिए क्योंकि प्रतिपदा तिथि को, भद्रा में, और दिन में होलिका के दहन का विधान नहीं है। पूर्णिमा की रात्रि में प्रदोष काल में ही होलिका दहन का विधान प्राप्त होता है किंतु इस वर्ष विषम स्थिति आ जाने के कारण भद्रा पुच्छ में भी होलिका दहन किया जा सकता है। अतः शास्त्रीय वचन का पालन करते हुए भद्रा पुच्छ में ही होलिका दहन करना चाहिए। प्रमाणों के अनुसार ०६ मार्च सोमवार रात्रि १२: २३ से १:३५ के मध्य होलिका दहन करना चाहिए। दूसरे दिन ०७ मार्च को मंगलवार को पूर्णिमा है अतः पूर्णिमा के दिन होली नहीं खेलना चाहिए। शुद्ध प्रतिपदा तिथि में ही होलिकोत्सव बसंतोत्सव मनाना चाहिए। अतः ६ तारीख की रात्रि में होलिका दहन होगा तथा ८ तारीख को धुरेड़ी के दिन होली खेला जाना उपयुक्त होगा। शहर के ज्योतिर्षाचार्य पंडित पीएल गौतमाचार्य के मुताबिक भी होलिका दहन ०६ मार्च को ही उपयुक्त है। ०७ मार्च को भद्राकाल में होलिका दहन नहीं किया जाना चाहिये।
क्यों बनी संशय की स्थित
इस बार संशय की स्थिति क्यों बनी है। इस पर विद्वानों का कहना है की हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर होली जलती है और अगले दिन रंग लगाकर त्योहार मनाते हैं, लेकिन इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन तक रहेगी। इसलिए संशय हुआ है। साथ ही अशुभ भद्रा काल भी रहेगा। इसी कारण किसी पंचांग में होलिका दहन ६ तो किसी में ७ मार्च को बताया है।बताया जा रहा है कि पूर्णिमा ६ मार्च की शाम तकरीबन साढ़े ४ बजे शुरू होगी और ७ की शाम लगभग ६.१० तक रहेगी। साथ ही भद्रा ६ मार्च की शाम करीब ४:१८ से ७ मार्च की सुबह सूर्योदय तक रहेगी। इसमें भद्रा का पुच्छ काल ६ और ७ मार्च की दरमियानी रात १२.४० से २ बजे तक रहेगा।