योग से शरीर में खिंचाव होने से बढ़ती है लंबाई, शरीर के बाकी हिस्सों को भी मिलते हैं लाभ
स्ट्रेचिंग यानी शरीर को पूर्ण रूप से खींचना लाभकारी व्यायाम है। यह योग से भी संभव है। ज़रूरत है ऐसे योगासनों के बारे में जानने की जिनके ज़रिए स्ट्रेचिंग की जा सकती है। इन आसन का नियमित अभ्यास जोड़ों की ताकत बढ़ाता है और शरीर को लचीला बनाता है। इसके साथ ही ये मांसपेशियों की सक्रियता को बढ़ाकर रक्त परिसंचरण में भी सुधार लाता है। जानिए स्ट्रेचिंग के लिए दिनचर्या में किन योगासनों को शामिल करना लाभकारी हो सकता है…
ताड़ासन
इस योगासन का अभ्यास करने से हमारे शरीर की आकृति ताड़ अर्थात पेड़ के समान खिंचती है। इसका निरंतर एक मिनट तक अभ्यास करने से पंजों से लेकर हाथों तक खिंचाव महसूस किया जा सकता है। मांसपेशियां लचीली व मानसिक एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह बच्चों की लंबाई बढ़ाने में सहायक है। दोनों आंतों (छोटी और बड़ी आंत) में खिंचाव आता है जिससे पेट संबंधी समस्या जैसे; गैस, कब्ज आदि में लाभ मिलता है।
आसन की विधि…
- दोनों पंजों के बीच लगभग 10 सेमी. की जगह छोड़कर खड़े हो जाएं।
- हाथों को कंधे के समानांतर ऊपर करें और उंगलियों को आपस में बांध लें।
- शरीर को पैरों की उंगलियों के बल रखकर ऊपर की ओर उठाएं, इस दौरान संतुलन बनाए रखें।
- कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहें और धीरे-धीरे सांस लें।
- पैरों को बिना हिलाए व बिना संतुलन खोए पुनः प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।
- इस तरह एक चक्र के ख़त्म होने के बाद कुछ समय आराम करके ही
- दूसरे चक्र की शुरुआत करें।
ध्यान रखें…
जिन व्यक्तियों को निम्न रक्तचाप की समस्या है, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए। यदि आप गर्भवती हैं तो इस आसन का अभ्यास किसी ट्रेनर के संरक्षण में ही करें।
उष्ट्रासन
इसका अभ्यास करने से एक साथ दो आसन का लाभ प्राप्त होता है, पहला पन्नासन और दूसरा स्वयं उष्ट्रासन। इसमें हमारे शरीर का आकार उष्ट्र अर्थात ऊंट के समान बन जाता है। इसलिए इसे उष्ट्रासन कहा जाता है। इससे कमर दर्द में आराम मिलता है, सर्वाइकल व दमा की बीमारी में राहत मिलती है और फेफड़े मजबूत बनते हैं। जंाघ की चर्बी कम होती है। पाचन तंत्र बेहतर करके कब्ज की समस्या से निजात दिलाता है। लंबाई बढ़ाने में भी लाभकारी है।
आसन की विधि…
- आसन को शुरू करने के लिए चटाई पर घुटनों के बल बैठ जाएं और अपने हाथ अपने हिप्स पर रख लेंं।
- जितना संभव हो पीछे की तरफ़ झुककर दाएं हाथ से दाईं एड़ी को पकड़ने की कोशिश करें।
- पेट को आगे की ओर करें और जांघों को सीधा रखें।
- अपनी गर्दन को ढीला छोड़ दें। अपनी गर्दन पर बिल्कुल भी तनाव न दें।
- इस आसन में कुछ सेकंड रहें और सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पुरानी अवस्था में वापस आएं।
ध्यान रखें…
पीठ में दर्द या चोट होने या थॉयराइड की समस्या होने पर इसे करने में सावधानी बरतें।
तिर्यक ताड़ासन
इस आसन के अभ्यास से पीठ के दोनों बगल वाले हिस्सों यानी कंधे से कमर तक दाएं व बाएं भाग में क्रमश: खिंचाव व दबाव महसूस होता है जो चर्बी कम करता है। बच्चे की लंबाई बढ़ने में मददगार होने के साथ यह पाचन तंत्र बेहतर करता है और कब्ज व गैस जैसी समस्याओं से निजात दिलाता है।
आसन की विधि…
- चटाई पर पैरों को कंधे की अपेक्षा थोड़ी अधिक दूरी पर फैलाएं।
- हाथों को ऊपर की ओर खींचते हुए शरीर को भी ऊपर तानें।
- सांस छोड़ते हुए, बिना तनाव के जितना हो सके बाईं ओर झुकें।
- सांस को रोककर कुछ देर इसी स्थिति में रहें।
- फिर सांस भरते हुए पुन: इसी स्थिति में वापस आ जाएं।
- इसी क्रिया को दाहिनी ओर दोहराएं और प्रारंभिक स्थिति में वापस आते समय हाथों को धीरे-धीरे नीचे लाएं।
ध्यान रखें…
उच्च रक्तचाप, सर्वाइकल या साइटिका डिस्क की समस्या होने पर इस आसन को सावधानीपूर्वक और योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें।
पश्चिमोत्तानासन
पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करने पर रीढ़ की हड्डी में खिंचाव होता है जिससे ये लचीली व हमेशा सीधी रहती है। कमर दर्द में आराम मिलता है और निरंतर अभ्यास से लंबाई भी बढ़ती है। योगासन के दौरान पेट में दबाव के चलते पेट की चर्बी कम होती है व पाचन तंत्र भी अच्छी तरह काम करता है। दोनों पैरों में खिंचाव आने से पैरों की मांसपेशियां मजबूत व घुटनों के दर्द में आराम मिलता है। इसके अलावा सूजन से भी निजात मिलती है।
आसन की विधि…
- जमीन पर दोनों पैर फैलाकर बैठ जाएं।
- इस दौरान गर्दन, सिर और रीढ़ की हड्डी को भी सीधा और मज़बूत रखें।
- कमर को मोड़ते हुए हाथ आगे की ओर लाएं और हाथों की उंगलियों से पैरों की उंगलियों को पकड़ें।
- इस स्थिति में सहज होकर, धीरे-धीरे अपने माथे से घुटनों को और कोहनी से ज़मीन छूने की कोशिश करें।
- कुछ सेकंड तक इसी मुद्रा में रहकर धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाएं।
ध्यान रखें…
पीठ के निचले हिस्से में दर्द या चोट हो, हैमस्ट्रिंग यानी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी में जकड़न या चोट होने के अलावा, दमा या दस्त की शिकायत होने पर इस आसन योग विशेषज्ञ के संरक्षण के बिना न करें।