भोपाल। स्पेन के पुरातत्व विभाग के वरिष्ठ विज्ञानी पेरे फेरर मार्सेट, एम्पारो मार्टी सोलर व जोस इलियास मोल्टो ने बेतवा के उद्गम स्थल पर शैलकला व जनजातीय जीवन पर स्पेनिश में पुस्तक का प्रकाशन किया है। रायसेन जिले के शैलचित्रों का अध्ययन करने के लिए स्पेन के विश्वविद्यालयों में स्पेनिश भाषा में पुस्तक उपलब्ध कराई जाएगी। पुस्तक के लेखक फेरर के अनुसार, स्पेन के सभी विश्वविद्यालयों में शोधार्थियों के लिए यह पुस्तक उपयोगी साबित होगी। रायसेन के रामछज्जा के शैलचित्र दुनिया में सबसे स्पष्टफेरर ने बताया कि उन्होंने पिछले 20 वर्षों में अनेक बार रायसेन जिले में आकर शैलचित्रों पर शोध कार्य किया है। यहां के जनजातीय समुदाय के लोगों से मिलकर उनकी परंपरा पर चर्चा की है।यहां के शैलचित्रों में हाथी, गैंडा, सुअर जैसे पशुओं के अलावा आखेट में मनुष्य तीरकमान का उपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ शैलचित्रों में बड़े सींग वाले गैंडा तथा ड्रैगन की तरह बड़े आकार के सर्प की भी आकृति है। शैलचित्रों में जनजातीय परिवेश काफी समृद्ध बताया गया है।
रायसेन जिले के भीमबैठका, जौरा, झिरी, कठौतिया, शिलाजीत, चिल दंत, दौलतपुर, सतकुंडा, खरबई, रामछज्जा, पेनगवा व उर्देन में स्थित शैलचित्रों का उल्लेख किया गया है। शोध कार्य में भारत के पुराविद दिल्ली ललितकला अकादमी के उप सचिव डा. आरके मोहंती, डा. नारायण व्यास, राजीव लोचन ने भी सहयोग किया है। रायसेन जिले में मौजूद शैलचित्रों का अध्ययन करने से यह स्पष्ट होता है कि यहां प्राचीनकाल में मानव सभ्यता काफी समृद्ध रही है। बेतवा नदी के उद्गम स्थल में भीमबैठिका के शैलचित्रों को यूनेस्को ने विश्व संरक्षित धरोहरों में शामिल किया है। इसके अलावा अन्य कई स्थानों पर भी सुरक्षित शैलचित्र मौजूद हैं। उनका मानना है कि रायसेन के पास रामछज्जा में मौजूद शैलचित्र दुनिया के सबसे स्पष्ट दिखने वाले हैं। इनकी प्राचीनता को लेकर कार्बन जांच कराई जा रही है, लेकिन प्रारंभिक आकलन अनुसार इन्हें 10 हजार वर्ष प्राचीन कहा जा सकता है।