प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर भोपाल मे बड़ा फैसला

भोपाल। मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने प्रधानमंत्री आवास योजना में हितग्राहियों की जानकारी को सूचना का अधिकार अधिनियम की परिधि में माना है। सिंह ने स्पष्ट किया कि अधिनियम के मुताबिक इस तरह की जानकारी को स्वतः पब्लिक प्लेटफॉर्म पर रखने का प्रावधान है, ताकि आम आदमी को इस जानकारी के लिए आरटीआई लगाने की आवश्यकता ना हो। वही सिंह ने प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी नहीं देने पर नगर पालिका परिषद मैहर के एक बाबू के ऊपर 12 हजार का जुर्माना लगाया है।
यह जानकारी मांगी गई थी। आरटीआई आवेदक नासिर खान ने नगर पालिका परिषद मैहर से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उसके वार्ड मे किन-किन लोगों को आवास मिला है उन हितग्राहियों की सूची की नकल मांगी थी। खान का आरोप है कि उसके वार्ड में अपात्र लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा दे दिया गया है, और यही वजह है कि नगर पालिका परिषद जानकारी को छुपा रहा है।

पीएमएवाय की जानकारी RTI के दायरे में: सिंह

सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में ये स्पष्ट किया कि पीएमएवाय की जानकारी आरटीआई अधिनियम की परिधि में आती है। सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी आरटीआई अधिनियम की धारा 2 (एएफf) के तहत सूचना की श्रेणी में है ,और धारा 2 (आई) रिकॉर्ड की श्रेणी में है। अधिनियम की धारा 7 (1) के तहत इसे निर्धारित समय सीमा 30 दिन की अवधि में आरटीआई आवेदक को उपलब्ध करानी चाहिए थी।

पीएमएवाय के हितग्राहियों की सूची वेबसाइट पर उपलब्ध होनी चाहिए: सिंह

सिंह ने इस अपील प्रकरण की सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसी जानकारी जिसमें जनता के लिए शासन की तरफ से चलाई गई योजनाओं के तहत राशि आवंटित किया जाता हो या ऐसे कार्यक्रम जिसमें फायदाग्राहीयों के ब्योरे सम्मिलित हैं। इस तरह की समस्त जानकारियों सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 (1) के तहत स्वत: देय है। इस तरह की जानकारी को वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाना चाहिए ताकि जनता को आरटीआई लगाकर जानकारी लेने की आवश्यकता ना रहे।

30 दिन में मिलने वाली जानकारी को देने में 6 महीने लगाएं

सिंह ने अपने आदेश में कहा कि इस प्रकरण में प्रधानमंत्री आवास योजना की हितग्राहियों की वांछित जानकारी मात्र 10 पृष्ठ की थी जो कि बेहद सरल एवं सुलभ रूप में कार्यालय में ही मौजूद थी पर सूचना का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करते हुए इस जानकारी को आरटीआई आवेदक को उपलब्ध कराने में 6 महीने से ऊपर का समय लगा दिया। प्रकरण में आयोग द्वारा की गई जांच से स्पष्ट है कि लोक सूचना अधिकारी चीफ म्युनिसिपल ऑफिसर द्वारा समय सीमा में कार्रवाई करते हुए कार्यालय में शाखा लिपिक श्री रोहिणी तिवारी को 7 दिन के अंदर जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। यहा डीम्ड पीआईओ रोहिणी तिवारी द्वारा जानबूझकर अपने वरिष्ठ अधिकारी के जानकारी देने के आदेश को नजरअंदाज करते हुए धारा 5(5) के उल्लंघन के साथ जानकारी 30 दिन में उपलब्ध ना करा कर धारा 7 (1) का भी उल्लंघन किया गया है। सिंह ने रोहिणी तिवारी की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए कुल 25 हजार जुर्माने के स्थान पर तिवारी के ऊपर 12 हजार का जुर्माना लगाया है।

Leave a Comment