Jabalpur Politics: रंग यात्रा से भाजपा के बायकॉट को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म

Jabalpur Politics: इसमें दो राय नहीं, विनय की नीति और रणनीति सबको चौका रही है। आज भी कांग्रेस के लिये सबसे मुश्किल कही जाने वाली मध्य विधानसभा में विनय मजबूती के साथ कदम बढ़ा रहे हैं। जीत और हार कल तय होगी, लेकिन इसमें दो राय नहीं की विनय सक्सेना आज हर जगह नजर आ रहे हैं। रंगपंचमी पर रंग यात्रा के सहारे जो तीर मध्य में चलाया गया है, उसकी चर्चा आज पूरे मध्य प्रदेश में हैं। सांस्कृतिक संगठनों को साथ लेकर, व्यापारिक संगठनों आगे रखकर, सामाजिक संगठनों से संयोजन कराकर रंग यात्रा के सहारे सबको साथ लाने का जो सफल प्रयास विनय ने किया है। उसके आगामी विधानसभा चुनाव में परिणाम दिखें न दिखे दूर गामी परिणाम जरूर दिखेंगे। किस्मत से जीतने का तंज झेलने वाले विनय की पूरे 05 साल की कार्यप्रणाली और रणनीति यह बता रही है, अब आने वाले कई सालों तक मध्य के राजनीतिक पैâसलों में विनय महत्वपूर्ण भूमिका में रहेंगे। साथ ही रंगयात्रा के अनोखे और सफल आयोजन से विनय ने यह संदेश तो दे ही दिया है की वे हर चुनौती के लिये तैयार हैं। कहा जा रहा है की जीत और हार के पैâसले बाद में होंगे, लेकिन भाजपा को हर बूथ और हर पेटी की लड़ाई लड़नी होगी। पुराने दिन नहीं लौटेंगे कि जब १५-२०-२५-३५ हजार से जीत हुआ करती थी।

पहले से दुगनी चुनौती

कांग्रेस जानती है, इस बार यहां चुनाव पिछली बार से भी कठिन साबित होगा है। क्योंकि धीरज का धैर्य इस बार जवाब नहीं देगा। प्रभात साहू, प्रमुख रणनीतिकार होंगे। यहां भाजपा के वैचारिक वोट में सेंध लगाना कठिन चुनौती है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी को भीतरघात से निपटने की अग्नि परीक्षा देनी होगी।

भाजपा चिंतित तो है!

रंग यात्रा से राजनीतिक लोगों ने दूरी बनाई, विशेषकर भाजपा ने इस यात्रा का बायकाट जैसा रवैया दिखाया। लेकिन यात्रा में मध्य के कमोबेश सभी सांस्कृतिक, सामाजिक, व्यापारिक संगठन गुलाल उड़ाते नजर आए। नौकरी पेशा, कारोबारी, बच्चे, बुजुर्ग हर तबके हर उम्र के ऐसे लोग यात्रा में दिखे जो राजनीति छाया वाले कार्यक्रमों से दूरी बनाते हैं। इस यात्रा ने भाजपा की चिंता तो बढ़ाई है। हिन्दू और हिन्दुत्व की राजनीति के भाजपा के ब्रम्हास्त्र का उसी अंदाज में जवाब देने का प्रयास तो किया गया है। अब यह प्रयास कितना सफल होगा, इसका इंतजार है। लेकिन जो गुलाल यात्रा में उड़े हैं, उनकी चमक और चटक कई दिन बरकरार रहेगी।

पुराना या नया समीकरण!

मध्य की सियासत दशकों तक सीधी और सादी रही है। ब्राम्हण, जैन और मुस्लिम मतदाताओं के त्रिकोणीय समीकरण में ब्राम्हण और जैन कोण मिलकर भाजपा को आसानी से जीत दिलाते रहे। भाजपा का अभेद गढ़ कही जाने वाली विधानसभा में ट्विस्ट २०१९ के चुनाव में आया। जब कांग्रेस ने सभी संभावित नामों को दरकिनार करते हुये, टिकिट दी विनय सक्सेना को, वहीं भाजपा में धीरज का धैर्य जवाब दे गया और वो निर्दलीय मैदान में आ गये। पुरानी समीकरण बिगड़े और विनय सक्सेना ने कांग्रेस के लिये सबसे मुश्किल सीट को जीतने में कामयाबी हासिल की। अब देखना दिलचस्प होगा की यहां पुराना और परम्परागत समीकरण २०२३ में वापस आएगा, या फिर एक नया समीकरण सामने आएगा।

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