Jabalpur News जबलपुर । स्व रोजगार को बढ़ावा देने की बात करने वाली सरकार जब नये उद्योगों को जगह देने में दिलचस्पी न ले तो सवाल उठना लाजमी है। जिले की सीमा में विस्तार हो रहा है, नई तहसीलें जोड़ी जा रही हैं, नये वार्ड बन रहे हैं, आबादी २५ लाख तक पहुंच रही है, लेकिन नये उद्योग केन्द्र स्थापित नहीं किये जा रहे हैं। आज स्थिति यह है की छोटे उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिए जगह की कमी हो रही है।
जिले में नए औद्योगिक केंद्रों की स्थापना नहीं होने से यह स्थिति बन रही है। कई मामले तो ऐसे भी हैं जहां युवाओं के स्वरोजगार योजनाओं के प्रोजेक्ट और लोन स्विकृत हो गये, लेकिन उन्हें जगह नहीं मिली। जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के अधिकारी भी समस्या स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन समाधान उनके पास भी नहीं है। आंकड़ों की बात करें तो जिले में केन्द्र और राज्य सरकार की दो योजनाएं चल रहीं हैं। जिनके माध्यम से हर साल ढाई हजार से ज्यादा लोगों को उद्योग आदि लगाने के लिये ऋण वितरण किया जाता है। जिला उद्योग केन्द्र में ४० से ५० उद्यमी हर माह भूमि के लिये पूछताछ करने आते हैं। केन्द्र के पास जगह ही नहीं, जिसके नतीजे में या तो निजी एवं किराये की जगह उद्योग लगाने पड़ते हैं, या फिर हितग्राही परियोजना ही बंद कर देता है।
लगातार बढ़ रही जमीन मांग
हर महीने शहर के आसपास छोटी एवं मध्यम आकार की औद्योगिक भूमि की मांग करने वाले उद्यमियों की संख्या ४० से ५० है। रिछाई और अधारताल औद्योगिक क्षेत्र में इकाई लगाने के लिए भूखंड की मांग करने पर उन्हें मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन (एमपीआइडीसी) के औद्योगिक केंद्रों में भूमि लेने का सुझाव दिया जाता है। जिले में एमएसएमई विभाग की तरफ से नए औद्योगिक केंद्र की स्थापना कई वर्ष से नहीं की गई है। जो हैं, उनमें भूखंड खाली नहीं हैं। रिछाई और अधारताल में उन्हीं भूखंडों की बिक्री हो रही है जिन्हें पहले से उद्यमियों ने ले रखा है। ऐसे में उन्हें निजी भूमि या किराए के भवन में उद्यम का संचालन करना पड़ता है। इससे उनकी पूंजी लागत बढ़ जाती है।
खाली पड़ी हैं जमीनें
ऐसा नहीं है की जिले में जगह की कमी है। मोहनिया में नए औद्योगिक केंद्र के लिए राजस्व भूमि चिह्नित की गई थी। कुछ वर्ष पहले यहां पर राजस्व विभाग और उद्योग विभाग ने संयुक्त निरीक्षण किया था। फिलहाल यहां औद्योगिक केंद्र की स्थापना का प्रकरण फाइलों में हैं। शहपुरा के पास खैरी में ५४ हेक्टेयर अविकसित भूमि है। यहां भी औद्योगिक केंद्र बन सकता है। यह शहर से ज्यादा दूर भी नहीं है। इसके अलावा ऐंठाखेड़ा में ४२ हेक्टेयर, भीटा में १५ और धरमपुरा में १६ हेक्टेयर से ज्यादा जमीन खाली पड़ी है।