diwali news, dewali per desi saman khareedenge hum. देश की सरहों पर घुसपैठ करने में विफल रहने वाला चीन अब भारतीय बाजारों में घुसपैद के प्रयास कर रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की वोकल फॉर लोक मुहीम चीन के नापाक इरादों पर लगाम लगा रही है। कोरोना काल के बाद पहली बार देश दीपावली को दुगनी उत्साह के साथ मनाने की तैयारी कर रहा है। माना जा रहा है इस बार लोकल दीपावली में चाईनीज सामानों की जगह देसी वस्तुएं खरीदने का रुझान जोर पकड़ रहा है। अनुमान के मुताबिक इससे जहां चायना को करीब 50 हजार करोड़ का नुकसान होगा। वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज (कैट) ने उम्मीद जताई है कि इस साल दिवाली के त्यौहारी सीजन के दौरान देश भर के बाजारों में लगभग 125 लाख करोड़ रुपए की व्यापार होने की संभावना है। साथ ही यह भी स्पष्ट है कि भारत के लोगों ने उत्सव के सामानों की खरीद-बिक्री के मामले में चीनी सामान की जगह अब भारतीय सामान को तरजीह देनी शुरू कर दी है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि देश भर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष दीवाली सीजन में देश में लगभग 125 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा और चीन को सीधे तौर पर लगभग 50 हजार करोड़ रुपए का व्यापार घाटा हुआ। दिवाली के सीजन में पिछले वर्षों तक चीन भारत में लगभग 50 हजार करोड़ का त्यौहारी सामान भारत में बेचता था, लेकिन गत दो वर्षों में भारतीय उपभोक्ताओं के खरीदी व्यवहार में बड़ा परिवर्तन आ गया है।
हर समान होगा देसी
भारत में बने एफएमसीजी उत्पाद, अन्य उपभोक्ता वस्तुएं, खिलौने, बिजली के उपकरण और सामान, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, रसोई के सामान, उपहार की वस्तुएं, मिठाई- नमकीन , घर का सामान, टेपेस्ट्री, बर्तन, सोना और गहने, जूते, घड़ियां, फर्नीचर, फिक्सचर ,वस्त्र, फैशन परिधान, कपड़ा, घर की सजावट का सामान, मिट्टी के दिए सहित दीवाली पूजा का सामान, सजावटी सामान, हस्तकला की वस्तुएं, वस्त्र, घर द्वार पर लगाने वाले शुभ-लाभ, ओम, देवी लक्ष्मी के चरण आदि अनेक त्यौहारी वस्तुओं की बिक्री में बड़ा इजाफा होने की संभावना है।
गरीबो को मिलेगा रोजगार
कैट के हिंदुस्तानी दिवाली मनाने के अभियान को देश भर में व्यापक समर्थन मिल रहा है। कैट के प्रयासों से इस वर्ष पहली बार दिवाली पर बड़ी संख्या में स्थानीय व्यापारिक संगठन लोकल कारीगरों, मूर्तिकारों, हस्तशिल्प श्रमिकों और विशेष रूप से कुम्हारों के बनाये उत्पादों को एक बड़ा बाजार देने की कोशिश में जुटे हैं। पूरे देश में बाजारों, कार्यालयों और घरों एवं दुकानों को मिट्टी से बने छोटे तेल के दीयों से सजाया जाएगा। पारंपरिक भारतीय सामान का भी दुकानों और घरों को सजाने के लिए भी बड़ा इस्तेमाल किया जाएगा।