Jabalpur Education, जबलपुर। कहीं सिर्फ दो कमरों का स्कूल है, तो कहीं पूरे स्कूल परिसर में शादी चल रही और दो कमरों में स्कूल चल रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, शासन प्रशासन की गाईड लाईन से लेकर हाईकोर्ट सबकुछ नजर अंदाज किये जा रहे है। बच्चों से फीस तो बम्पर वसूली जा रही है लेकिन सुविधाओं के नाम पर ठगा जा रहा है। गौर करने वाली यह है की यह सबकुछ शिक्षा की नाक के नीचे हो रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूलों में खेल को अनिवार्य किया गया है, लेकिन आज भी अधिकांश स्कूलों में मैदान ही नहीं हैं। जिले में प्राथमिक से हाईस्कूल तक के स्कूलों में लम्बी कतार है जहां स्कूल मैदान विहीन है। आंकड़ों पर नजर डालें तो जबलपुर में तीन हजार हजार सरकारी और निजी स्कूल है जो सीधेतौर पर शिक्षा विभाग से मान्यता हासिल करते हैं। इनमें अकेले २५२६ विद्यालय पहली से आठवीं कक्षा के है। सबसे ज्यादा खेल मैदान की किल्लत इन्हीं संस्थानों में है। अनुमान के मुताबिक आधे से ज्यादा स्कूल बिना मैदान के है।
नियम कागजों तक सीमित
सबसे दयनीय स्थिति उन स्कूलों की है जिन्होंने प्राथमिक तक की मान्यता ली हुई है। किराये की दुकानों, एक दो कमरों, घर की खाली जगहों में स्कूल चलाया जा रहा है। नियम की की बात करें तो हाईस्कूल के लिए मान्यता जिला शिक्षा विभाग से मिलती थी। अब जिला शिक्षा विभाग की अनुशंसा पर संयुक्त संचालक कार्यालय से मंजूरी की प्रक्रिया होती है। विद्यालय भवन ४००० वर्गफीट में होना अनिवार्य है। इसमें २००० वर्गफीट का खुला मैदान तथा २००० वर्गफीट में भवन होना चाहिए। इस प्रकार हायर सेकंडरी के लिए ५६०० वर्गफीट स्थल होना चाहिए। इनमें भी २६०० वर्गफीट में भवन तथा तीन हजार वर्गफीट खुला मैदान होना चाहिए। २० मार्च २०२० के बाद से नए हाईस्कूल के लिए २१७८० वर्गफीट जमीन तथा हायर सेकेंडरी कक्षा वाले विद्यालय के लिए ४३५६० वर्ग फीट जमीन होना आवश्यक है। पहले १०० रुपये के स्टाम्प पर किरायानामा को मान्य किया जाता था अब पंजीकृत किरायानामा विद्यालय समिति के नाम का होना अनिवार्य किया गया है।
७२ नये आवेदन पहुंचे
पहली से आठवीं कक्षा तक के स्कूलों को राज्य शिक्षा के माध्यम से मान्यता दी जाने का प्राविधान है। २०२३ से यह बदलाव हुआ है। इससे पूर्व जिला शिक्षा विभाग से मान्यता दी जाती थी। जिला परियोजना समन्वयक योगेश शर्मा ने बताया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत स्वयं का भवन या पंजीकृत किरायानामा संस्था के पास होना आवश्यक है। अभी मान्यता के लिए ७२ नए संस्थानों के आवेदन मिले थे इसमें २६ संस्थानों के आवेदन मापदंड पूर्ण नहीं होने की वजह से ही अमान्य किए गए है। ४६ संस्थानों को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि अभी ३० बच्चों की बैठक क्षमता के अनुसार कक्षाएं होनी चाहिए। इसके अलावा खेल के मैदान होना चाहिए। खेल के हिसाब से मैदान छोटा-बड़ा हो सकता है।