Cant Board Election: नगर स्तर पर यदि बात की जाए को जबलपुर केन्टोनमेंट बोर्ड मेम्बर चुनाव विधानस सभा के सेमीफाईनल के रूप में देखा जा रहा है। जिसकी वजह से बिना पार्टी सिम्बल के होने वाले इस चुनाव के लिये भाजपा कांग्रेस दोनों रणनीति बना रही है। केन्ट समझने वाले यह भी कह रहे हैं कि इस बार केंट चुनाव कांग्रेस वर्सेज कांग्रेस और भाजपा वर्सेज भाजपा है। आसान भाषा में यह कि, दोनों पार्टियां केन्ट चुनाव में बराबर पर खड़ी हैं, दोनों ही पार्टियों में यहां फूट और गुटबाजी सबसे बड़ी समस्या है, जो पार्टी आंतरिक फूट को टूट में बदलने से रोकने में कामयाब होगी, वहीं केन्ट बोर्ड पर राज करेगी।
कांग्रेस किससे लड़ेगी ! …..
अब तक के चुनाव में यहां कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों का दबदबा आम बात थी। लेकिन इस बार स्थिति में बदलाव दिखाई दे रहा है। यहां पिछले और आगामी विधानसभा चुनाव का सबसे अधिक साया कांग्रेस पर ही है। कुछ ऐसे चेहरे जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस प्रत्याशी के लिये गड्डा खोदा था, वो चुनाव मैदान में हैं। पिछला प्रत्याशी आज भी मजबूत स्थिति में है। वहीं कल होने वाले विधानसभा चुनाव में जिन्हें केन्ट की टिकिट चाहिये, उन्हें फिक्र है यदि केन्ट बोर्ड में विरोधी गुट हावी हुआ तो उनकी राह मुश्किल हो सकती है। इसलिये कहा जा रहा है यहां कांग्रेस का सामना भाजपा से कम कांग्रेस से ज्यादा है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इस अजीबों गरीब भीतरघात के समीकरण से कांग्रेस को चुनाव से पहले निपटना होगा, अन्यथा केन्ट बोर्ड हाथ से जा सकता है।
भाजपा रूठों को मनाने में जुटी
भाजपा इस मामले में कांग्रेस से कुछ बेहतर स्थिति में दिख रही है। भाजपा यहां जहां एक कांग्रेस में चल रही उठापटक पर नजरें बनाए हुये है, वहीं अपने रूटों को मनाने में जुटी हुई हैं। इसमें कुछ सफलता तब दिखी जब पिछले दिनों कांग्रेस में चले गए कार्यकर्ता भी भाजपा नेताओं के बंगले में रंग-गुलाल उड़ाते हुए नजर आए। केन्ट विधायक केन्टोनमेंट एरिया में अधिक से अधिक कार्यक्रम कर जनता से जुड़ने और जनता का फीडबैक लेने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं।