Trending News: जन्म देने वाली मां को ही बच्चे की कस्टडी का अधिकार: कोर्ट

Trending News। मुंबई की एक सिविल कोर्ट ने पिछले हफ्ते एक केस में फैसला सुनाते हुए कहा कि जन्म देने वाली मां को ही बच्चे की कस्टडी का अधिकार है। इसी के साथ कोर्ट ने फोस्टर पैरंट्स (दत्तक माता-पिता) से 25 साल की महिला को उसका बेटा सौंपने का आदेश दिया। दरअसल, बायोलॉजिकल मां ने शादी से पहले ही बच्चे को जन्म दिया था, जिसके चलते उसने 2021 में अपने बच्चे को अडॉप्शन के लिए दे दिया था। हालांकि, जब उसे अहसास हुआ कि वह किसी बेबी सेलिंग रैकेट में फंस गई है तो उसने बेटे को वापस लेने की इच्छा जाहिर की।

याचिकाकर्ता ने बच्चे के पिता से शादी भी कर ली। पिछले साल याचिकाकर्ता ने अपने एक साल के बेटे की कस्टडी के लिए वकील एडिट डे और मिखैल डे के जरिए कोर्ट का रुख किया। पालक माता-पिता ने बच्चे को वापस देने से इनकार किया। हालांकि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दत्तक माता-पिता ने चाइल्ड अडॉप्शन के संबंध में तथ्य स्थापित करने के लिए विश्वसनीय और संप्रेषित साक्ष्य रिकॉर्ड पर नहीं लाए हैं। कोर्ट ने यह भी बताया कि दत्तक माता-पिता ने पहले अडॉप्शन पिटीशन दाखिल की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। कोर्ट के आदेश के बाद दत्तक माता-पिता ने इस पर रोक लगाने के लिए याचिका डाली। सिविल कोर्ट ने फैसले पर चार हफ्ते की रोक लगाई है।

साल 2022 में दाखिल अपनी दलील में बायोलॉजिकल मां ने कहा था कि व्यक्तिगत और वित्तीय कठिनाइयों के चलते वह बच्चे का पालन-पोषण करने में असमर्थ थी और उसे जूलिया फर्नांडिस नाम की एक महिला से संपर्क करने की सलाह दी गई थी। मां ने बताया कि जूलिया ने उसे सूचित किया था कि उसका एक एनजीओ है और जब तक चीजें सेटल नहीं हो जाती है, बच्चे की देखभाल में मदद की जाएगी। मां ने कहा कि जूलिया ने ही उसके बच्चे का अडॉप्शन कराया और बताया कि दत्तक पैरंट्स पैसे से संपन्न हैं और बच्चे की अच्छे से देखभाल करने में समर्थ हैं। पिछले साल जूलिया और उसकी एक कथित साथी शबाना शेख के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज किया गया। दोनों पर एक नवजात बच्ची को साढ़े चार लाख रुपये में बेचने की कोशिश का आरोप था।

बच्चे की मां ने आगे कहा कि पालक माता-पिता ने 2021 में कोर्ट में अडॉप्शन पिटीशन दाखिल की थी, लेकिन उसने और उसके पति ने कोर्ट को बताया कि वे अपने बच्चे को अडॉप्शन के लिए नहीं देना चाहते। मार्च 2022 में कोर्ट ने अडॉप्शन पिटीशन खारिज कर दी। याचिकाकर्ता मां ने बताया कि जब उसने और उसके पति ने दत्तक माता-पिता से अपने बच्चे की कस्टडी मांगी तो उन्होंने इनकार कर दिया। मां ने कहा कि उसने पुलिस से संपर्क किया, लेकिन मदद नहीं मिली। ऐसे में उसे बच्चे की कस्टडी के लिए दलील डालनी पड़ी। पालक पैरैट्स ने दलील का विरोध किया और कोर्ट को बताया कि बच्चे को वैध तरीके से गोद लिया गया था।