मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने प्रोफेसर जीएन सांई बाबा को निर्दोष बरी कर दिया है। नक्सली समर्थक होने के आरोप में प्रोफेसर सांई बाबा को गडचिरोली की सत्र न्यायालय ने 7 मार्च 2017 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस मामले की अपील मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में की गई थी। पिछले 10 साल से सांई बाबा जेल में बंद थे। नागपुर खंडपीठ ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया है। 10 साल जेल में रहने के बाद वह रिहा होंगे।
प्रोफेसर साईं बाबा दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। उन्होंने पत्रकार वार्ता में अपना दुखड़ा रोते हुए कहा, मेरी जिंदगी के 10 साल जेल में बर्बाद हो गए। झूठे आरोपों में मुझे जेल में रखा गया। देश के इतिहास की शायद यह पहली घटना होगी। जहां हाईकोर्ट ने दूसरी बार आरोपी को निर्दोष होने का फैसला सुनाया। एक पढ़ा लिखा व्यक्ति जो स्वयं प्रोफेसर था। वह झूठे आरोप में 10 साल जेल में बंद रहा। झूठे आरोपों से वह अपनी रक्षा नहीं कर पाया। आम आदमी की क्या हालत होगी, इस निर्णय से समझा जा सकता है। झूठे आरोप में जिन अधिकारियों ने उसे जेल भेजा था। हाईकोर्ट को उन पर भी कार्रवाई करनी चाहिए। आरोपी के निर्दोष साबित होने के बाद उसे मुआवजा देने की भी आदेश, हाईकोर्ट ने दिये होते, तो अधिकारियों पर कर्तव्यों का जिम्मेदारी के साथ पालन करने का दबाव बनता।