रक्षा खरीद प्रक्रिया में देरी पर वायुसेना प्रमुख ने जताई चिंता, दी सख्त नसीहत

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने रक्षा खरीद प्रक्रिया में देरी पर चिंता जताई है। उन्होंने समय सीमा का पालन करने की सख्त नसीहत दी। सीआईआई वार्षिक व्यापार सम्मेलन 2025 में बोलते हुए उन्होंने कहा कि समय पर डिलीवरी नहीं कर पाना गंभीर समस्या है। इससे देश की सैन्य तैयारियों पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

एयर चीफ मार्शल ने कहा कि एक बार जब कोई समय सीमा तय की जाती है, तो ऐसा कोई प्रोजेक्ट नहीं है जो समय पर पूरा हुआ हो। हमें यह सोचने की जरूरत है कि हम ऐसी चीजों का वादा क्यों कर रहे हैं जो पूरी नहीं हो सकतीं? कई बार अनुबंध पर हस्ताक्षर करते समय ही साफ हो जाता है कि समय पर डिलीवरी नहीं होगी, फिर भी हम दस्तखत कर देते हैं। उनकी यह टिप्पणी हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमानों की डिलीवरी में देरी के मद्देनजर आई है।

उन्होंने तीन महीने पहले भी इस पर सार्वजनिक रूप से असंतोष जताया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में वायुसेना की केवल 31 स्क्वाड्रन सक्रिय हैं, जबकि अधिकृत संख्या 42 है। यह गिरावट मुख्य रूप से पुराने मिग-21, मिग-23 और मिग-27 विमानों को सर्विस से हटाने और नए विमानों की सप्लाई में हो रही देरी से हो रही है। दिसंबर 2024 में संसद की रक्षा मामलों की स्थायी समिति ने भी एचएएल को तेजस उत्पादन में तेजी लाने और रक्षा मंत्रालय को लड़ाकू विमानों की खरीद प्रक्रिया में तेजी लाने की सिफारिश की थी।

एमआरएफए कार्यक्रम के अंतर्गत 114 अत्याधुनिक 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को खरीदा जाना है, पिछले कई सालों से रुका हुआ है। अप्रैल 2019 में वैश्विक कंपनियों से सूचना मंगाई गई थी, जिसमें भारत में लाइसेंस के तहत निर्माण और तकनीकी हस्तांतरण की शर्त रखी गई थी, लेकिन अभी तक इस पर स्वीकृति की जरुरत नहीं मिली है, जो खरीद प्रक्रिया को औपचारिक रूप से शुरू करने की पहली कड़ी होती है। वायुसेना के पास फिलहाल दो तेजस एमके-1 स्क्वाड्रन हैं, जिनमें 32 सिंगल सीट और 4 ट्विन सीट ट्रेनर विमान शामिल हैं। मार्च 2024 में तेजस एमके-1ए का पहला सफल उड़ान परीक्षण हुआ था, लेकिन सीरियल डिलीवरी में अब तक देरी बरकरार है। उत्पादन में धीमी गति, डिजाइन संबंधी चुनौतियाँ और इंजन की उपलब्धता इसके प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं।